मत्तगयंद सवैया ( 23 वर्ण, 7 भगण (S। ।) के साथ 2 गुरु )
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व्याकुल दीन समाज जना पथ कंटक मौन बुना करते हैं ।
आप बड़े कुछ भी कह लें पर राह युगीन चुना करते हैं ।
कुंज करील कुरंग कराल कला अवरोध गुना करतें हैं ।
पावन पुष्प पराग पुनीत विकार हरे अधुना करते हैं ।
श्वेत घनी सदरी पहने पथ पर्वत कंत दिगंत हुए हैं ।
साधक से उजले तन पाहन लीन तपोनिधि संत हुए हैं ।
धीर अधीर पथी सिहरे ; सिहरे तरु पत्र अनंत हुए हैं ।
शीत शिकार करे जन मानस राह कटे कस हंत हुए हैं ।
*** डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी ***
आप बड़े कुछ भी कह लें पर राह युगीन चुना करते हैं ।
कुंज करील कुरंग कराल कला अवरोध गुना करतें हैं ।
पावन पुष्प पराग पुनीत विकार हरे अधुना करते हैं ।
श्वेत घनी सदरी पहने पथ पर्वत कंत दिगंत हुए हैं ।
साधक से उजले तन पाहन लीन तपोनिधि संत हुए हैं ।
धीर अधीर पथी सिहरे ; सिहरे तरु पत्र अनंत हुए हैं ।
शीत शिकार करे जन मानस राह कटे कस हंत हुए हैं ।
*** डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी ***
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