Sunday, 27 May 2018

सुमेरु छंद

 
1.🌷
 
अचानक आज प्रभु, आये बन अतिथि।
युगों के बाद है, अब आज शुभतिथि ॥
नहीं कुछ है समझ, स्वागत करूँ क्या।
झरें झरझर नयन, झोली भरूँ क्या॥ 


2.🌷
 
करो तुम आज प्रभु, स्वीकार अर्पण।
सभी कुछ आज मैं, करती समर्पण॥
अचानक निरख छवि, पुलकित सकल तन।
मिले सहसा हुआ, हर्षित मगन मन॥


*** कुन्तल श्रीवास्तव ***

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