श्रम एक साधना है,
जीवट की पहचान है,
आलस्य का दुश्मन और
सतत स्फूर्ति की जान है,
हारे का दृढ़ हौसला है तो
जीत के ठहराव का राज है,
फिर फिर विजय पाने की
सशक्त हिम्मत है श्रम,
धीरज का मित्र है,
महका दे जीवन
ऐसा इत्र है,
स्वाभिमान का सबक है,
ईमान है, पाक है इबादत है,
श्रम जीत की ताक़त है,
फिर भी जाने क्यों
खेलते इसके संग
आँख मिचौनी,
और न दे पाते
उनको वो मान
श्रम जिनका जीवन है!
*** डॉ. अनिता जैन "विपुला" ***
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