Sunday, 14 September 2025

रजत चंद्रिका - एक गीत

 

तिमिर तिरोहित करके जग का, तमस मानसिक हरता।
रजत चंद्रिका में अवगाहन, पूर्ण चंद्रमा करता।

किरण हिमानी औषधि के सम, तन की पीड़ा हरती।
जलधि और उर करे प्रफुल्लित, चन्द्र चंद्रिका झरती।
शिशुओं का मातुल क्रीडक बन, रूप मनोहर धरता।
रजत चंद्रिका में अवगाहन, पूर्ण चंद्रमा करता।

सर्व धर्म सम भाव मानता, तुझे पर्व सब प्यारे।
ईद चौथ करवा की हो या, व्रती मनुज उद्धारे।
तुझे देखकर निराहार जन, विहँस उदर को भरता।
रजत चंद्रिका में अवगाहन, पूर्ण चंद्रमा करता।

अविभाजित ब्रह्माण्ड सकल में, दिनकर निशिकर तारे।
सबका ही पूरा महत्व है, नहीं जगत से न्यारे।
पोषित करते रहें धरा को, बहुविधि अमृत झरता।
रजत चंद्रिका में अवगाहन, पूर्ण चंद्रमा करता।

*** डॉ. राजकुमारी वर्मा

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