नेक काम करते रहना है, हम सबको रोज़ाना,
पाया दुर्लभ मानव तन ये, नाहक नहीं गँवाना।
प्रतिदिन का अभ्यास दिलाता, बड़ी सफलता भाई,
सिद्धि-प्रसिद्धि मिला करती है, जीवन में सुखदाई।
मान बढ़ाना कुल समाज का, कुछ करके दिखलाना,
पाया दुर्लभ मानव तन ये, नाहक नहीं गँवाना।
परसेवा, उपकार न भूलो, यह जीवन का हिस्सा,
ज़िंदा रहते ही बन जाओ, प्रेरक रोचक किस्सा।
सिर्फ नहीं करते रह जाओ, खाना और कमाना,
पाया दुर्लभ मानव तन ये, नाहक नहीं गँवाना।
प्रतिदिन हरि की करो वंदना, उनसे लगन लगाओ,
हिय को अपने निर्मल करके, सच्चा सुख तुम पाओ।
अंत समय तुमको हे भाई, पड़े नहीं पछताना,
पाया दुर्लभ मानव तन ये, नाहक नहीं गँवाना।
*** राजकुमार धर द्विवेदी
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