दृढ़निश्चय संकल्प शक्ति से, संस्कृति का उत्थान हुआ।
दंभ क्रोध मिथ्या हठ कारण, कब किसका सम्मान हुआ।
कैकेयी हठ निमित्त था बस, काल दशानन का आया।
सिया स्वर्ण मृगतृष्णा झूठी, स्वयं मृत्यु को हर लाया।
भरी सभा में दशकंधर से, भाई का अपमान हुआ।
दंभ क्रोध मिथ्या हठ कारण, कब किसका सम्मान हुआ।
भीष्म प्रतिज्ञा धारण करना, धर्म कहाँ बस बन्धन था।
दुर्योधन की ज़िद के आगे, ग्लानि युक्त वो क्रंदन था।
धर्मयुद्ध में हरि के सम्मुख,अविरत सत्य् प्रज्ञान हुआ।
दंभ क्रोध मिथ्या हठ कारण, कब किसका सम्मान हुआ।
दृढ़-निश्चय ध्रुव का देखा जब, नारद ने समझाया था।
नारायण-नारायण जप कर, अविचल पद को पाया था।
हिरण्यकशिपु वध हेतु ही तो, नृसिंह का आह्वान हुआ।
दंभ क्रोध मिथ्या हठ कारण, कब किसका सम्मान हुआ।
राज बाल व त्रिया हठ तीनों, युग-युग से चलते आए।
कलयुग में भी ये तीनों ही, भावों को छलते आए।
कभी किया था अपयश जिसका, कैसे फ़िर यशगान हुआ।
दंभ क्रोध मिथ्या हठ कारण, कब किसका सम्मान हुआ।
*** सरदार सूरजपाल सिंह *** कुरुक्षेत्र
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