Sunday, 11 April 2021

मात अम्बिका



युद्ध भयंकर,
रक्तबीज रक्तबीज
रक्तबीज बना प्रलयंकर,
वीर्यवान रक्तबीज
दैत्य प्रधान रक्तबीज
गिरे मुंड मुंड धरा पर,
शोणित वेग जहाँ पर,
कुछ इधर गिरे कुछ उधर गिरे
पा स्पर्श रक्त का
भूमि पर अनगिन थे रक्तबीज
देवी प्रहार
अरि संहार,
भूमि लहू आच्छादित
दैत्य पर दैत्य उत्पादित,
घनघोर था मंजर
रुंड मुंड आ रहे नजर,
देवी चक्र
असुर ख़ंजर,
मण्डित विश्व सहस्त्र रक्तबीज
देवगण थे निराशित,
चंडिका चंडिका
काली चामुंडा
मुख विशाल
अक्ष लाल
रूप विकराल
जिह्वा बनी काल,
पी रही मात रक्त
करने असुर अशक्त,
काट काट शीश
रक्त विहीन दैत्य हुआ
देव दे रहे आशीष,
देवी चामुंडा कालिका ने,
रक्त भक्ष करते करते
वध रक्तबीज का किया
मात अम्बिका ने।।

सुरेश चौधरी

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