विजय झूठे की हो जाती है सच्चा हार जाता है
यहीं तो व्यक्ति का सच पर भरोसा हार जाता है
शिकारी जब जगा देता है मन में भूख दानों की
कपट के जाल में फँसकर परिन्दा हार जाता है
जिसे विश्वास होता है कि सच का पक्षधर है वो
अदालत में वही अक्सर मुक़दमा हार जाता है
ये क़ुदरत दम्भ सबका तोड़ देती है इसी कारण
ग्रहण के दिन उजाले का फरिश्ता हार जाता है
न देखा है कभी भी छद्म ज्यादा देर तक टिकते
चमक सूरज की पड़ते ही कुहासा हार जाता है
ग़ज़ल हर दिल लुभाए सोच है 'अनमोल' की इतनी
अनेकों बार उसका ये इरादा हार जाता है
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