Monday 5 October 2020

भरोसा हार जाता है

 


विजय झूठे की हो जाती है सच्चा हार जाता है

यहीं तो व्यक्ति का सच पर भरोसा हार जाता है

शिकारी जब जगा देता है मन में भूख दानों की
कपट के जाल में फँसकर परिन्दा हार जाता है

जिसे विश्वास होता है कि सच का पक्षधर है वो
अदालत में वही अक्सर मुक़दमा हार जाता है

ये क़ुदरत दम्भ सबका तोड़ देती है इसी कारण
ग्रहण के दिन उजाले का फरिश्ता हार जाता है

न देखा है कभी भी छद्म ज्यादा देर तक टिकते
चमक सूरज की पड़ते ही कुहासा हार जाता है

ग़ज़ल हर दिल लुभाए सोच है 'अनमोल' की इतनी
अनेकों बार उसका ये इरादा हार जाता है

*** अनमोल शुक्ल "अनमोल" ***

No comments:

Post a Comment

रीति निभाने आये राम - गीत

  त्रेता युग में सूर्य वंश में, रीति निभाने आये राम। निष्ठुर मन में जागे करुणा, भाव जगाने आये राम।। राम नाम के उच्चारण से, शीतल जल ...