Sunday, 11 October 2020

खेल-खेल में



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सरसी छंद
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[1]

खेल-खेल में कर देते हैं, बच्चे घर का काम।
मिल जाता है मात-पिता को, भी थोड़ा आराम

मेल-जोल से हो जाता है, यह घर सुख का धाम।
दुख-सुख में सब साथ खड़े हों, संकट हटें तमाम।।
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[2]

खेल-खेल में बच्चे सीखें, कम्प्यूटर भी आज।
वृद्धों को तो मुश्किल लगता, करना इस पर काज

बच्चे सिखा रहे हैं उनको, इस पर करना काम

खेल-कूद की यही उम्र है, करें नहीं विश्राम।।
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[3]

[मुक्तक]
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खेल-खेल में करें खिलाड़ी, दुनिया भर में नाम,
मिल जाती है धन-दौलत भी, अच्छा है यह काम, 
तन-मन हो जाता ताकतवर, यदि कर लें अभ्यास,
अच्छा भोजन बहुत ज़रूरी, खाएँ फल-बादाम।।
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[4]

[मुक्तक]
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खेल-खेल में हो जाता है, कभी किसी से प्यार,
बिना विचारे मन कर लेता, है सब कुछ स्वीकार,
नई जवानी में मत लाँघो, मर्यादा की रेख,
कदम बढ़ाओ सोच-समझ कर, क्षमा नहीं इस बार।।
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रीता ठाकुर
अमेरिका

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