आदमी से बात करना चाहता है आदमी
साथ में औकात रखना चाहता है आदमी
मौज में है मखमली तन ये सभी को है पता
टाट के पैबंद ढकना चाहता है आदमी
गौर करता कौन है जी झौंपड़ी की आग पर
देख अपनी राह बढ़ना चाहता है आदमी
मर गया ईमान सबका दौलतों के दौर में
खून पीकर पेट भरना चाहता है आदमी
हौंसलों को रोक पाना ना किसी के हाथ में
"हाँकला" से रोज लड़ना चाहता है आदमी
*** गोविन्द हाँकला ***
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