आर-पार की ठनी लड़ाई,
जानें क्या होगा अंजाम।
गहरे मित्र रहे हैं दोनों,
साथ रहे ये आठों याम।।
दुनिया को देते थे शिक्षा,
कभी बढ़ाना मत तकरार।
बैर-भाव जब भी बढ़ जाए
जीना हो जाता दुश्वार।।
आज बने हैं दोनों दुश्मन,
खींच रहे दोनों तलवार।
समझ नहीं आया क्यों इनके,
बढ़ी दिलों में कुटिल दरार।।
साझे के धन्धे में होती,
ऐसी बातें बारम्बार।
सही कहा है विद्वानों ने,
करो नहीं साझा व्यापार।।
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*** मुरारि पचलंगिया ***
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