Sunday 21 June 2020

आज देश की सीमाओं पर



आज देश की सीमाओं पर, जूझ रहे हैं वीर हमारे।
नीति नियंता मौन हुए क्यों, राजनीति के धीर हमारे।।


जब जब भारत के वीरों ने, रण का कौशल दिखलाया है।
तब तब भारत माता ने ख़ुद, पाठ चीन को सिखलाया है।।


डोकलाम हो या फिर कोई, भी घाटी हो आज हमारी।
विस्तारक नीतियाँ बनाता, पंचशील का क्रूर पुजारी।।


घाटी है गलवान हमारी, भ्रम तेरा हम दूर करेंगे।
वीर शिवाजी के वंशज हैं, अहंकार को चूर करेंगे।


बीसों सैनिक तूने मारे, पापी तुझको लाज न आयी।
रणभेरी अब गूँज उठी है भारत ने ली है अंगड़ाई।।


पूरा देश समुद्यत होकर, चीन तुझे ललकार रहा है।
भारत माँ का कण-कण मिलकर चीन तुझे दुत्कार रहा है।।


आज अंजना शब्दघोष, करती है, वीरो! आगे बढ़ लो।
अत्याचारी क्रूर दरिंदों, के सिर पर हिम्मत से चढ़ लो।।


*** डॉ. अंजना सिंह सेंगर ***

No comments:

Post a Comment

श्रम पर दोहे

  श्रम ही सबका कर्म है, श्रम ही सबका धर्म। श्रम ही तो समझा रहा, जीवन फल का मर्म।। ग्रीष्म शरद हेमन्त हो, या हो शिशिर व...