Sunday 24 May 2020

रंग काला



जाने कितने रंग सृष्टि के
अद्भुत लेकिन है रंग काला।

काली अलकें काली पलकें,
काले नयन लगें मधुशाला,
काला भँवरा
हुआ मतवाला।

काला टीका नज़र उतारे,
काला धागा पाँव सँवारे,
काली रैना चंदा ढूँढे 
अपना शिवाला।

काले में हैं सत्य के साये,
हर उजास के पाप समाए,
रैन कुटीर सृष्टि की शाला,
रंग सपनों को
भाए काला।

काले से तो भय व्यर्थ है,
इसमें जीवन का अर्थ है,
आदि अंत का ये है प्याला,
हर यथार्थ को
इसने पाला।

*** सुशील सरना ***

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