ईश्वर से प्राप्त सभी वर है
पर घर तो बस तुमसे घर है
आयामों को तय करने में
जीवन की पगडंडी उलझी
पहले दिन से तुम खोल रही
गत आगत की बातें सुलझी
प्रासादों में आडम्बर है
घर का सुख विस्तृत अंबर है
आता कहने का अवसर है
जिह्वा पर अटके अक्षर है
ईश्वर से प्राप्त सभी वर है
पर घर तो बस तुमसे घर है
बाह्याभ्यन्तर की पीड़ाएँ
जब ठंडी साँसों में जलती
स्मित मधुर वचन आश्वासन का
सुरभित मलयज चंदन मलती
क्षण भीतर ही क्षण कातर है
घर अवगुंठन की झालर है
प्लावन से कुछ तट को ड़र है
पर तल में फूटे निर्झर है
ईश्वर से प्राप्त सभी वर है
पर घर तो बस तुमसे घर है
कौटुम्बिक रिश्ते नातों में
विनिमय का भाव भरा गहरा
सुख-दुःख में घेरे रहता है
कोमल बाँहों का ही पहरा
निर्धनता कितनी सुन्दर है
गृहणी से ही घर मन्दिर है
तुम हो तो फिर किसका डर है
मेरा जीवन अमृत तर है
ईश्वर से प्राप्त सभी वर है
पर घर तो बस तुमसे घर है
*** डॉ. मदन मोहन शर्मा ***
सवाई माधोपुर, राजस्थान
जीवन की पगडंडी उलझी
पहले दिन से तुम खोल रही
गत आगत की बातें सुलझी
प्रासादों में आडम्बर है
घर का सुख विस्तृत अंबर है
आता कहने का अवसर है
जिह्वा पर अटके अक्षर है
ईश्वर से प्राप्त सभी वर है
पर घर तो बस तुमसे घर है
बाह्याभ्यन्तर की पीड़ाएँ
जब ठंडी साँसों में जलती
स्मित मधुर वचन आश्वासन का
सुरभित मलयज चंदन मलती
क्षण भीतर ही क्षण कातर है
घर अवगुंठन की झालर है
प्लावन से कुछ तट को ड़र है
पर तल में फूटे निर्झर है
ईश्वर से प्राप्त सभी वर है
पर घर तो बस तुमसे घर है
कौटुम्बिक रिश्ते नातों में
विनिमय का भाव भरा गहरा
सुख-दुःख में घेरे रहता है
कोमल बाँहों का ही पहरा
निर्धनता कितनी सुन्दर है
गृहणी से ही घर मन्दिर है
तुम हो तो फिर किसका डर है
मेरा जीवन अमृत तर है
ईश्वर से प्राप्त सभी वर है
पर घर तो बस तुमसे घर है
*** डॉ. मदन मोहन शर्मा ***
सवाई माधोपुर, राजस्थान
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