‘शं’ से हैं आनंद शिव, ‘कर’ से हैं कल्याण।
सत्, चित् अरु आनंद का, वर्णन करें पुराण।।
शिव ही शाश्वत सत्य हैं, शिव से है आनंद।
शिव ही हैं सौंदर्य अरु, शिव ही परमानंद।।
शीश विराजे चंद्रमा, जटा गंग की धार।
तन भभूत, मृगछाल अरु, गले सर्प का हार।।
भांग, धतूरा, बेर प्रिय, बेलपत्र आहार।
शिव निवास कैलाश पर, नंदी पीठ सवार।।
आशुतोष शिव ने किया, जीवन का कल्याण।
इनके प्रबल प्रताप से, रक्षित होते प्राण।।
शिव की हो संकल्पना, शिव सा उपजे बोध।
सृष्टि जगत में क्यों न हो, ज्ञान तत्त्व का शोध।।
शिव से माँगे अंजना, समरसता वरदान।
जगजननी माता उमा, दे दो यह अभिधान।।
*** डॉ. अंजना सिंह सेंगर ***
शिव ही हैं सौंदर्य अरु, शिव ही परमानंद।।
शीश विराजे चंद्रमा, जटा गंग की धार।
तन भभूत, मृगछाल अरु, गले सर्प का हार।।
भांग, धतूरा, बेर प्रिय, बेलपत्र आहार।
शिव निवास कैलाश पर, नंदी पीठ सवार।।
आशुतोष शिव ने किया, जीवन का कल्याण।
इनके प्रबल प्रताप से, रक्षित होते प्राण।।
शिव की हो संकल्पना, शिव सा उपजे बोध।
सृष्टि जगत में क्यों न हो, ज्ञान तत्त्व का शोध।।
शिव से माँगे अंजना, समरसता वरदान।
जगजननी माता उमा, दे दो यह अभिधान।।
*** डॉ. अंजना सिंह सेंगर ***
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