Sunday, 29 December 2019

इच्छा/चाह पर दोहे


 
हुई न पूरी कामना, सदियों भोग विलास।
मन ययाति कहता नहीं, आधा भरा गिलास।।


दिल से चाहे जो तुझे, देख उसी की ओर।
तके चाँद को रात भर, रोता सुबह चकोर।।


चाह गर्क ग़म मयकशी, क्या खयाल है खूब।
ग़म जाने हैं तैरना, मयकश जाता डूब।।


इच्छाएँ रखना मगर, आमदनी अनुसार।
देखा देखी होड़ में, दुखी बहुत घर बार।।


जिसका दामन देखिए, कद से दुगना मान।
क्या क्या चाहे आदमी, मालिक भी हैरान।।


चाह नही संतोष रख, छोड़ संचयन भाव।
डूबे अपने बोझ से, ज्यादा भारी नाव।।


मिली जुझारू जिंदगी, कदम कदम तूफान।
मौत जटायू सी मिले, इतना सा अरमान।।
===========================
*** आर सी शर्मा "गोपाल" ***

No comments:

Post a Comment

माता का उद्घोष - एक गीत

  आ गयी नवरात्रि लेकर, भक्ति का भंडार री। कर रही मानव हृदय में, शक्ति का संचार री॥ है प्रवाहित भक्ति गङ्गा, शिव-शिवा उद्घोष से, आज गुंजित गग...