Sunday, 17 November 2019

विमोहा छंद


 
प्रेम की जोत से। ज्ञान के स्रोत से।
आत्म चैतन्य हो। प्रेम से धन्य हो॥1॥


भावना प्रेम हो। कामना क्षेम हो।
वेद का ज्ञान हो। कर्म में ध्यान हो॥2॥


सत्य ही धर्म है। प्रेम ही कर्म है॥
सत्य देखो जरा। प्रेम से है धरा॥3॥


गोपियाँ राधिका। प्रेम की साधिका।
कृष्ण आराधना। वो न हों उन्मना॥4॥


प्रेम की मोहिनी। कृष्ण की रागिनी॥
ये अहं रीतता। प्रेम ही जीतता॥5॥


मार्ग हो सत्य का। लक्ष्य हो मर्त्य का।
व्यक्ति बच्चा रहे। प्रेम सच्चा रहे॥6॥




*** कुन्तल श्रीवास्तव ***

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