Sunday 3 November 2019

पावन भारत देश हमारा (गीत)


 


पावन भारत देश हमारा, अखिल जगत से न्यारा है।
हरित धरा का राष्ट्र यही तो, सब संतों को प्यारा है।।


गंगा-सी पावन सरिता ने, जन-जन का उपकार किया।
चारों प्रयाग बने तीर्थ ये, बने शहर मैदान यहाँ।।
सभी सगर के मृत पुत्रों का, गंगा ने उद्धार किया।
सरिता की पावन माटी से, बने खेत-खलिहान यहाँ।।
नही मलिन अब पावन जल हो, यह संकल्प हमारा है।


शब्द-शक्ति से सन्देश भरा, माँ मेरा हो आलेखन।
विकसित करना पाक भावना, सच में एक चुनौती है।।
शब्द-शब्द में झरे लेखनी, इतना ही आत्म-निवेदन।
उल्लास भरी हो शुद्ध भावना, प्रभु से यही मनौती है।।
नीरामृत सा निर्मल जीवन, अब बस एक सहारा है।


पुष्प बीच काँटों के अंदर, रहे सुरक्षित तब खिलता।
जब भी कष्ट अन्य के झेले, कहीं हृदय को सुख मिलता।
चञ्चलता चपला देती है, सरिता देती शीतलता।
मिले गम्भीरता सागर से, मिले शिखर से मौलिकता।।
इसी भूमि के सन्त पुरोधा, सकल जगत उजियारा है।


पावन भारत देश हमारा, अखिल जगत से न्यारा है।
हरित धरा का राष्ट्र यही तो, सब संतों को प्यारा है।।


*** लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला ***

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