Sunday 11 August 2019

दक्षता पर दोहे

 
सदा दक्ष ही जीतते, बाजी को हर बार।
करते अपनी नाव को, चतुराई से पार।।


कुशल बने अभ्यास से, लगे लक्ष्य पर तीर।
दक्ष सदा ही खींचते, सबसे बड़ी लकीर।।


पग-पग पर संघर्ष है, इस जीवन में मीत।
करें दक्ष ही सामना, मिले उन्हें ही जीत।।


जिसमें जितनी दक्षता, उतनी भरे उड़ान।
दुस्साहस करते नहीं, वे ही चतुर सुजान।।


सदा कुशल चातुर्य ही, रखकर दृढ़ विश्वास।
सदा कुशल व्यवहार से, करता त्वरित विकास।।


रखते जो चातुर्य से, सबके सम्मुख पक्ष।
सभी मानते हैं उसे, उसी क्षेत्र में दक्ष।।


मानवता से युक्त हो, बनकर शिक्षित दक्ष।
अनुभव से ही रख सकें, दृढ़ता से हम पक्ष।।


*** लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला ***

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