Sunday, 23 June 2019

जीवन के रंग


सात रंग है स्वप्न के, देखे कोई धीर।
चलाचली के जगत में, कोई एक कबीर॥


बोल दिया खुद चित्र ने, अपना पूरा नाम।
दर्पण मुझको ये कहे, कलमकार का काम॥


विधना ने जो लिख दिया, धरा उकेरे चित्र।
अपने रेखा चित्र को, खुद विस्तारो मित्र॥


जीव देह में रंग का, सुन्दर ये चितराम।
कूँची ने यूँ लिख दिया, जीवन है अभिराम॥


दुनियाँ बहुत विचित्र है, खींचे कितने चित्र।
तिलक करे तब आप के, मतलब निकले मित्र॥


*** जी.पी. पारीक ***

No comments:

Post a Comment

माता का उद्घोष - एक गीत

  आ गयी नवरात्रि लेकर, भक्ति का भंडार री। कर रही मानव हृदय में, शक्ति का संचार री॥ है प्रवाहित भक्ति गङ्गा, शिव-शिवा उद्घोष से, आज गुंजित गग...