Sunday, 16 June 2019
चरण सोरठा छन्द
देश हमारा भाव, टुकड़ा नहीं जमीन का।
इससे हमें लगाव, मूरत दिली यकीन का॥1॥
करें देश को याद, रहते जब परदेश हम।
रहें शाद आबाद, मुल्क करे सब दूर ग़म॥2॥
राष्ट्रगान है मान, राष्ट्र हमारा नेक है।
देश हमारी शान, भिन्न वेश ध्वज एक है॥3॥
जन्मभूमि है जान, उसके लिए मरें जियें।
बनें नेक इंसान, चषक एकता का पियें॥4॥
देश प्रेम का रोग, सिर पर चढ़ कर बोलता।
हृदय बसा यह योग, नहीं मृत्यु से डोलता॥5॥
भारत देश महान, ज्ञान गुणों से है भरा।
मातृभूमि पहचान, जाने सारी यह धरा॥6॥
सब लोकों में श्रेष्ठ, जन्मभूमि अरु मात है।
कहते इसको ज्येष्ठ, संस्कृति की यह बात है॥7॥
*** कुन्तल श्रीवास्तव ***
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
वर्तमान विश्व पर प्रासंगिक मुक्तक
गोला औ बारूद के, भरे पड़े भंडार, देखो समझो साथियो, यही मुख्य व्यापार, बच पाए दुनिया अगर, इनको कर दें नष्ट- मिल बैठें सब लोग अब, करना...

-
पिघला सूर्य , गरम सुनहरी; धूप की नदी। बरसी धूप, नदी पोखर कूप; भाप स्वरूप। जंगल काटे, चिमनियाँ उगायीं; छलनी धरा। दही ...
-
जब उजड़ा फूलों का मेला। ओ पलाश! तू खिला अकेला।। शीतल मंद समीर चली तो , जल-थल क्या नभ भी बौराये , शाख़ों के श्रृंगों पर चंचल , कुसुम-...
No comments:
Post a Comment