Sunday, 21 April 2019
मान-मर्यादा पर बरवै छंद
गरिमा इसकी गुरुतर, कर गुणगान।
अब भी अपना भारत, देश महान॥1॥
अपने कर्म निभायें, दिन हो रात।
तोड़ें मत मर्यादा, तब है बात॥2॥
साथ-साथ करना है , हमें विकास।
करना होगा सबके, दिल में वास॥3॥
भारतवर्ष हमारा, है अभिमान।
रहे तिरंगा झंडा, इसकी शान॥4॥
पर्वत इसके प्रहरी, नदियाँ शान।
सागर चरण पखारें, गायें गान॥5॥
शस्य-श्यामला धरती, है कृषि कर्म।
पर्यावरण बचायें, सबका धर्म ॥6॥
मर्यादा पुरुषोत्तम, थे श्री राम।
हम भी कर्म करें वह, हो कुछ नाम॥7॥
🌸
*** कुन्तल श्रीवास्तव ***
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सूरज का संदेश
बेसुध करती रात सयानी, नित्य सँवारे रवि-स्यंदन है। हार न जाना कर्म पथिक तुम, सुख-दुख सत्य चिरंतन है। मत घबराना देख त्रासदी, उम्मीदों से ज...
-
पिघला सूर्य , गरम सुनहरी; धूप की नदी। बरसी धूप, नदी पोखर कूप; भाप स्वरूप। जंगल काटे, चिमनियाँ उगायीं; छलनी धरा। दही ...
-
जब उजड़ा फूलों का मेला। ओ पलाश! तू खिला अकेला।। शीतल मंद समीर चली तो , जल-थल क्या नभ भी बौराये , शाख़ों के श्रृंगों पर चंचल , कुसुम-...

No comments:
Post a Comment