Sunday, 17 March 2019
आया नया चुनाव
हर चौखट तक सरक सरक कर, आया नया चुनाव।
ऊँचा सेमल दिखा रहा है, ताव नया नव ढंग।
फिर पलाश के पोर पोर पर, चढ़ा भांग का रंग।
गाफ़िल भवरों की उड़ान में, है थोड़ा भटकाव।
हर चौखट तक ..... (1)
बंदर बकरी भेड़ हिरण सब, ढूँढ रहे हैं घास।
कुत्ते बिल्ली बाज लोमड़ी, की भी जागी आस।
बाघ शेर भी गर्जन करके, बना रहे अलगाव।।
हर चौखट तक....... (2)
महा समर में आशिक सारे, ठोक रहे हैं ताल।
अपनी शेखी हाँक रहे सब, पहन कवच ले ढाल।
वोट पर्व का जनमन पर अब, बढ़ने लगा तनाव।।
हर चौखट तक....... (3)
बूढ़ा बुधिया परख चुका है, सबके पाँव निशान।
भूसे के इस बड़े ढेर में, नहीं मिली मुस्कान।
झूठे वादों ने जीवन को, दिए घाव पर घाव।।
हर चौखट तक...... (4)
*** भीमराव झरबड़े "जीवन" बैतूल ***
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आ गयी नवरात्रि लेकर, भक्ति का भंडार री। कर रही मानव हृदय में, शक्ति का संचार री॥ है प्रवाहित भक्ति गङ्गा, शिव-शिवा उद्घोष से, आज गुंजित गग...

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