Sunday 10 March 2019

सूर्य रश्मियाँ



एकान्त को मधुर स्वर देतीं
द्वार खटखटा रही थीं
सूर्य रश्मियाँ


पाषाणों में
रूप का आभास देतीं,
कुछ नये तराने
सजा रही थीं
सूर्य रश्मियाँ


दूर-दूर तक बह रहीं
एक दीर्घ आलाप-सी
रंगों से सजी लहरें
मन मुग्ध कर रहीं थीं
ये सूर्य रश्मियाँ 


रेत के कण
मानों बोल रहे
आ बैठ दो पल
देख,
कितना आनन्द देती हैं
ये सूर्य रश्मियाँ


न सोच कि
उदित होता है या अस्‍त
बस यह देख
कि आनन्द का सागर हैं
ये सूर्य रश्मियाँ


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*** कविता सूद ***

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