Sunday, 9 December 2018

शब्द



शब्दों का था भाव बड़ा
शक्ति बड़ी थी अर्थ बड़ा
केवल उनके उच्चारण से 

धरती पर था स्वर्ग खड़ा
शब्द ब्रह्म थे शब्द मंत्र थे

शब्दों से थी रची ऋचाएँ
शब्द सबद थे शब्द कबीरा

शब्दों में ही आयत आयें
ईमान शब्द हैं शब्द धर्म हैं 

किरदार शब्द हैं शब्द कर्महैं
शब्द योग हैं यही अमोघ हैं

शब्द अस्त्र हैं शस्त्र शब्द हैं
शब्द ज्ञान हैं शब्द मान हैं

शब्द पुण्य हैं शब्द पाप हैं
तूने तो शब्दों का अद्भुत वरदान दिया है
मैंने ही शब्दों का अपमान किया है

शब्द वही हैं
बस अर्थ नहीं हैं
केवल उच्चारण करते हैं

किरदारों में जिए नहीं हैं
इसीलिए व्यक्तित्व हमारे 

जगमग जलते दिए नहीं हैं
मेरे मालिक मेरे दाता
मुझसे अपने शब्द छीन ले
मुझको तू निःशब्द बना दे।


==============================
*** नसीर अहमद 'नसीर' ***

No comments:

Post a Comment

माता का उद्घोष - एक गीत

  आ गयी नवरात्रि लेकर, भक्ति का भंडार री। कर रही मानव हृदय में, शक्ति का संचार री॥ है प्रवाहित भक्ति गङ्गा, शिव-शिवा उद्घोष से, आज गुंजित गग...