Sunday 20 September 2015

पाँच दोहे चित्र आधारित



देखन में सुंदर लगें, ये घन पूर्ण सफेद।
हम बारिश करते नहीं, कहते श्वेत सखेद।।
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काले बदरा नीर ले, कहीं गए हैं रेंग।
उनकी बाट न जोहिए, दिखा दिए हैं ठेंग।।
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बिन पानी इस साल तो, फसल गई मुरझाय।
व्यापी चिंता कृषक में, तनिक न निद्रा आय।।
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गाँव छोड़ अब जा रहे, लेकर पेट मजूर।
बचे हुए जो गाँव में, वे हैं अति मजबूर।।
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राजनीति नेता करें, साहब हैं खुशहाल।
हालत पतली देश की, जनजीवन बदहाल।।


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***** राजकुमार धर द्विवेदी

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे...

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    1. सादर आभार आपका आदरणीय Kailash Sharma जी.
      सादर नमन

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  2. साधुवाद, आदरणीय कैलाश शर्मा जी। नमन।

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    1. हार्दिक बधाई राजकुमार धर द्विवेदी जी.
      सादर नमन

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    2. मुरारि पचलंगियाMonday, September 28, 2015

      बहुत सारगर्भित उत्कृष्ट दोहे...

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    3. सादर आभार मुरारी पचलंगिया जी, सादर नमन

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