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"फ़ायदा"
फ़ायदा... एक शब्द जो दिख जाता है हर रिश्ते की जड़ों में हर लेन देन की बातों में और फिर एक सवाल बनकर आता है इससे मेरा क्या फ़ायदा होगा मनुष्य...

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पिघला सूर्य , गरम सुनहरी; धूप की नदी। बरसी धूप, नदी पोखर कूप; भाप स्वरूप। जंगल काटे, चिमनियाँ उगायीं; छलनी धरा। दही ...
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जब उजड़ा फूलों का मेला। ओ पलाश! तू खिला अकेला।। शीतल मंद समीर चली तो , जल-थल क्या नभ भी बौराये , शाख़ों के श्रृंगों पर चंचल , कुसुम-...
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बात है सपन जी भाई साहब बहुत ही कोमल और पावन भावों को आपने इन दोहों में सजाया है... यह सच है कि प्रभु स्मरण से ही सब संकटों और सब दुखों से हम दूर रह सकते हैं इसलिए हमें हर पल प्रभु का स्मरण करना चाहिए... बधाई आपको भाई साहब... सादर वंदे...
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत-बहुत आभार नवल जी। प्रभु में मन रम जाए तो इससे अच्छा क्या होगा। मन के भावों को प्रभु के समीप लाना ही उद्देश्य है। इस सुन्दर सराहना के लिए आपका दिल से आभार। सादर नमन।
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