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छोड़ कर जाना नहीं प्रिय - एक गीत
छोड़ कर जाना नहीं प्रिय साथ मेरे वास कर लो। पूर्ण होती जा रही मन कामना तनु प्यास भर लो। मैं धरा अंबर तुम्ही हो लाज मेरी ढाँप लेना। मैं रहूँ...

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गहरी आँखों से काजल चुराने की बात न करो। दिलकश चेहरे से घूँघट उठाने की बात न करो।। सावन है बहुत दूर ऐ मेरे हमदम मेरे हमसफ़र। बिन म...
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पिघला सूर्य , गरम सुनहरी; धूप की नदी। बरसी धूप, नदी पोखर कूप; भाप स्वरूप। जंगल काटे, चिमनियाँ उगायीं; छलनी धरा। दही ...
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बात है सपन जी भाई साहब बहुत ही कोमल और पावन भावों को आपने इन दोहों में सजाया है... यह सच है कि प्रभु स्मरण से ही सब संकटों और सब दुखों से हम दूर रह सकते हैं इसलिए हमें हर पल प्रभु का स्मरण करना चाहिए... बधाई आपको भाई साहब... सादर वंदे...
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत-बहुत आभार नवल जी। प्रभु में मन रम जाए तो इससे अच्छा क्या होगा। मन के भावों को प्रभु के समीप लाना ही उद्देश्य है। इस सुन्दर सराहना के लिए आपका दिल से आभार। सादर नमन।
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