Sunday, 13 May 2012

हे मातृभूमि है तुम्हें प्रणाम - एक देशभक्ति गीत






 

 

 



 

 

रोम-रोम तेरा यश गाये,

साँस-साँस में तू बस जाये,

हे मातृभूमि है तुम्हें प्रणाम ...

 

हार के आऊँ या जीत कर,

गले लगाती तू प्रीत कर,

कोई चाहे हो संग्राम,

हे मातृभूमि है तुम्हें प्रणाम ...

 

जीत होगी तुम्हें ही अर्पण,

हार हुई तो मेरा दर्पण,

अब न करूँगा कभी विराम,

हे मातृभूमि है तुम्हें प्रणाम ...

 

गीत लिखा है तेरी जय का,

स्वर डाला है नवजीवन का,

रहेगा जीवित स्वर-संग्राम,

हे मातृभूमि है तुम्हें प्रणाम ...

 

हर कंटक को दूर करूँगा,

हर दुश्मन से लोहा लूँगा,

अब चाहे हो जो अंजाम,

हे मातृभूमि है तुम्हें प्रणाम ...

 

2 comments:

  1. वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बात है सपन जी भाई साहब... बहुत ही सुन्दर ढंग से देश प्रेम के भावों को आपने यहाँ पंक्तिबद्ध किये हैं... बधाई आपको... सादर वंदे...

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    1. सुरेन्द्र नवल जी,
      बहुत-बहुत आभार आपका ... आपके शब्द प्रेरित करते हैं ...

      सादर नमन

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