मित्र को करे अमित्र, क्रोध का यही चरित्र,
सन्त कहें है विचित्र, स्वयं को बचाइये।
षड्दोषों में है एक, लगे किन्तु थोड़ा नेक,
साथ में रखें विवेक, तभी अपनाइये।
सोचे राम प्रार्थना से, सिन्धु पे बँधेगा पुल,
किन्तु लघु भ्रात बोले, बाण तो उठाइये।
शठ से रहें सचेत, सुने कब उपदेश,
दुष्ट को तो क्रोध से ही, सबक़ सिखाइये।
***सीमा गुप्ता "असीम"
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