Sunday, 18 August 2024

गीत - 'महका हिंदुस्तान'

विजय गान गा थिरक रही है, अधरों पर मुस्कान।

उजियारे की चिट्ठी लेकर, आया घर आदित्य।
कुशल क्षेम सब जन गण में है, सुना रहा साहित्य।।
विहग-वृंद भी चहक रहे हैं, देख धवल दिनमान।।1
निकल पड़ी पर्वत-पीहर से, पिया मिलन को धार।
संस्कृतियाँ भी घाट-घाट पर, बैठी कर शृंगार।।
पाप-पुण्य के वेद उपासक, करते पग-पग स्नान।।2

रूप गर्विता धरा प्रगल्भा, बाँट रही शुचि धान।
केशर घाटी के परिमल से, महका हिन्दुस्तान।।
जीवन में सौहार्द देखकर, विहँसे वीर किसान।।3

*** भीमराव 'जीवन' बैतूल

No comments:

Post a Comment

"फ़ायदा"

  फ़ायदा... एक शब्द जो दिख जाता है हर रिश्ते की जड़ों में हर लेन देन की बातों में और फिर एक सवाल बनकर आता है इससे मेरा क्या फ़ायदा होगा मनुष्य...