Sunday 4 June 2023

एक गीत - रंग बदलते देखा

 

आज जगत को पल-पल हमने, रंग बदलते देखा है।
नहीं रही बन्धुत्व भावना, सत्य सहमते देखा है।।

अपने-अपने स्वार्थ सभी के, मन में भेद हुए गहरे।
सीमाओं पर तनातनी हैं, है दिन-रात जहाँ पहरे।।
काले नाग विषैले जिनको, जहर उगलते देखा है।
नहीं रही बन्धुत्व भावना, सत्य सहमते देखा है।।

बुद्ध सरीखे संदेशों का, समझे कोई मोल नहीं।
ग्रन्थ भरे हैं उपदेशों से, उनका कोई तोल नहीं।।
अपनों के हाथों अपनों को, सबने छलते देखा है।
नहीं रही बन्धुत्व भावना, सत्य सहमते देखा है।।

लक्ष्मण रेखा समझे दुनिया, क्यों सीमा को पार करे।
विश्व शांति के लिए जरूरी, आपस में सत्कार करे।।
हिरोशिमा शमशान बनी थी, चमन उजड़ते देखा है।
नहीं रही बन्धुत्व भावना, सत्य सहमते देखा है।।

*** लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला

1 comment:

  1. ब्लॉग में गीत रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार आद. विश्वजीत सपन जी

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