Sunday, 12 April 2020

पंचचामर/नराच/नागराज छन्द

 
विभो! कृपा रहे सदा न आधि हो न व्याधि हो।
न भोगजन्य रोग हो शिवा ऋतम् समाधि हो।।
न काम क्रोध मोह हो न द्रव्य जन्य रोग हो।
सदैव साथ हो खुशी विपत्ति से वियोग हो॥1॥


समस्त विश्व हे प्रभो! विषाणु की चपेट में।
बिमारियाँ अनेक हैं मनुष्य है लपेट में।।
वसुन्धरा दुखी हुई यहाँ विषाणु राज है।
मनुष्य है डरा हुआ निरुद्ध द्वार आज है॥2॥


सभी यहाँ ग्रसे गये असह्य आज वेदना।
समाप्त धैर्य हो रहा न शेष आज चेतना।।
तुम्हें पुकारते समस्त जीव-जन्तु उन्मना।
हरे! हरो दुरूह दुःख अंध छा रहा घना॥3॥


करें बचाव प्राण का हमें असीम शक्ति दो।
बचाव हेतु जीव के प्रतीति* और भक्ति दो।। (*विश्वास /ज्ञान)
मनुष्य स्वस्थ हों समस्त रोग से विमुक्ति दो।
विवेक का प्रकाश हो विचार धैर्य युक्ति दो॥4॥


🌸
कुन्तल श्रीवास्तव, मुम्बई.

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