Sunday, 14 October 2018
वंदना - शृंगार छन्द
'सत्य की विजय' दशहरा-पर्व।
मनाते अनुभव होता गर्व॥
सदा मर्यादा का हो भान।
तभी हो सफल राम गुणगान॥1॥
शब्द 'माँ' शुद्ध बीज इक मंत्र।
व्यर्थ सब अन्य यंत्र या तन्त्र॥
करें आह्वान मातृ नवशक्ति।
करें माता की नवधा-भक्ति॥2॥
शरद ऋतु का अनुपम त्योहार।
दशहरा-महिमा अपरम्पार॥
मनाये पूरा भारत देश।
'अलग पर एक' यही संदेश॥3॥
========================
*** कुन्तल श्रीवास्तव ***
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सूरज का संदेश
बेसुध करती रात सयानी, नित्य सँवारे रवि-स्यंदन है। हार न जाना कर्म पथिक तुम, सुख-दुख सत्य चिरंतन है। मत घबराना देख त्रासदी, उम्मीदों से ज...
-
पिघला सूर्य , गरम सुनहरी; धूप की नदी। बरसी धूप, नदी पोखर कूप; भाप स्वरूप। जंगल काटे, चिमनियाँ उगायीं; छलनी धरा। दही ...
-
जब उजड़ा फूलों का मेला। ओ पलाश! तू खिला अकेला।। शीतल मंद समीर चली तो , जल-थल क्या नभ भी बौराये , शाख़ों के श्रृंगों पर चंचल , कुसुम-...
No comments:
Post a Comment