सच्चा साथी राखिए, दुख में दे जो साथ।
एक विभीषण मिल गया, धन्य हुए रघुनाथ।।
कृष्ण सुदामा थे सखा, जग में है विख्यात।
बड़ भागी को ही मिले, ऐसी प्रिय सौगात।।
संकट में जो साथ दे, उसको साथी मान।
राह दिखाए सत्य की, जग में हो सम्मान।।
साथी मेरे हैं कई, सच्चा नहि है एक।
फूक-फूक कर चल रहा, मन में लिए विवेक।।
कड़वी बोली भी भली, जो हो सच्चा मित्र।
सत पथ गामी हम रहें, बनता दिव्य चरित्र।।
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*** मुरारि पचलंगिया
बड़ भागी को ही मिले, ऐसी प्रिय सौगात।।
संकट में जो साथ दे, उसको साथी मान।
राह दिखाए सत्य की, जग में हो सम्मान।।
साथी मेरे हैं कई, सच्चा नहि है एक।
फूक-फूक कर चल रहा, मन में लिए विवेक।।
कड़वी बोली भी भली, जो हो सच्चा मित्र।
सत पथ गामी हम रहें, बनता दिव्य चरित्र।।
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*** मुरारि पचलंगिया
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