Sunday, 12 February 2017

आशा/उम्मीद के भाव पर एक रचना

 
नाना विधि धोया अंगन को, मल-मल के तन स्नान कियो।
फिर समय उचित परिधान पहन, प्रभु का मन से गुणगान कियो।
आँगन में तुलसी को पूजा, हर्षित मन से जलदान कियो।
मन में ले कुशल कामना फिर, परदेशी पिय को ध्यान कियो।


श्यामल केशों का नीर छटक, फिर नूतन चोटी गुहि डाली।
कंगन, चूड़ी, झुमकी पहनी, फिर नाक में नवनथनी डाली।
मुख पे मयंक, कुंदन काया, होठों पे चमके कछु लाली।
सोलह शृंगार करे गोरी, पिय अगवानी में मतवाली।


*** रणवीर सिंह 'अनुपम' ***

No comments:

Post a Comment

नव द्वार खोल आए - गीत

  नव वर्ष आगमन पर नव द्वार खोल आए। नव भोर की प्रभा में नव राग घोल आए। निज सोच शुद्ध हो ले कुछ ज्ञान बुद्ध कर लें। बाटें क्षमा ...