Sunday, 22 September 2024

"ये दुनिया खेल तमाशा" - एक गीत



ये दुनिया खेल तमाशा बंधू , खेल नहीं पर जीवन प्यारे।
माया नटिनी नाच नचाती मुग्ध जीव तन मन धन वारे।

साधो जीवन गीत सुहाना कहाँ उदासी कहाँ बहाना।
अर्चन पूजन मंदिर जाना हर हर गंगे खूब नहाना।
ओढ़ चुनरिया निर्मल हो लो सजग चेतना धी धन तारे।
ये दुनिया खेल तमाशा बंधू , खेल नहीं पर जीवन प्यारे।

मेला जग का सुभग लुभाता झिलमिल तारे चाँद सुहाता।
क्षिति जल पावक गगन समीरा पंच तत्व से प्राण पुहाता।
चीवर के बिखरे तारों की ईश करे है सीवन सारे।
ये दुनिया खेल तमाशा बंधू , खेल नहीं पर जीवन प्यारे।

शुभ दिन सभी ईश के उज्ज्वल मंगल घड़ी कर्म से फलती।
धर्म सिखाता जीवन जीना करुणा में मानवता पलती।
अशुभ नहीं कुछ शुद्ध आचरण से बनते हैं सब छन न्यारे।
ये दुनिया खेल तमाशा बंधू , खेल नहीं पर जीवन प्यारे।

*** सुधा अहलुवालिया 

No comments:

Post a Comment

माता का उद्घोष - एक गीत

  आ गयी नवरात्रि लेकर, भक्ति का भंडार री। कर रही मानव हृदय में, शक्ति का संचार री॥ है प्रवाहित भक्ति गङ्गा, शिव-शिवा उद्घोष से, आज गुंजित गग...