Sunday, 9 June 2024

ध्यान, विचार, चिंतन - मुक्तक

 

शान देश की घट रही, आओ करें विचार,
दोषी इसके जो मिलें, वे सब हैं गद्दार,
दंडित उनको अब करें, करना नहीं लिहाज -
आगे आओ साथियो, जिन्हें राष्ट्र से प्यार।।

युवकों की ये टोलियाँ, क्यों होती पथ-भ्रष्ट,
चिंतन की यह बात है, शक्ति हो रही नष्ट,
गफ़लत त्यागो साथियो, इन्हें सँभालो शीघ्र -
दुर्गति इनकी देख कर, होता मन में कष्ट।।

जनता के सहयोग से, बनता राष्ट्र महान,
युवा जनों आगे बढ़ो, बढ़े राष्ट्र की शान,
हे युवको संकल्प लो, लिए तिरंगा हाथ -
नहीं भटकना राह में, रहे बात का ध्यान।।

No comments:

Post a Comment

मंगलमयी सृष्टि हो मन-कामना - एक गीत

  हो कृपा की वृष्टि जग पर वामना । मंगलमयी सृष्टि हो मन-कामना॥ नाव मेरी प्रभु फँसी मँझधार है, हाथ में टूटी हुई पतवार है, दूर होता ...