Sunday, 16 June 2024

कर पायी गंगा उद्धार

 



निर्मल गंगाजल की लहरें, बहती है अजस्त्र जल धार।
माँ गंगा को आना ही था, मानव का करने उपकार।।

भूप भगीरथ हुए तपस्वी, कपिल मुनि के पा निर्देश।
रघुकुल के इस भागिरथी ने, ग्रहण किया पावन सन्देश।।
भुवनेश सगर के पुत्रों का, कर पायी गंगा उद्धार।।

गोमुख से गंगा सागर तक, हुए बहुत से विकसित धाम।
तेरे पुण्य सलिल को हे! माँ, करें सभी समुदाय प्रणाम।।
महादेव ही थाम जटा में, सहते तीव्र वेग का भार।

मलिन करे क्यों नीरामृत को, जो हरती सबके सन्ताप।
स्वच्छ रखे पावन गंगा को, जहाँ धुले सबके ही पाप।।
भारत भू पर तीर्थ बनाकर, देव-नदी करती साकार।

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