Sunday 30 June 2024

एक गीत - जीवन एक झमेला है?

सुख-दुख का रेलम पेला है।
क्या जीवन एक झमेला है?

नित नूतन तृष्णा जाग रही।
मानस में जलती आग रही।।
कैसे इसे बुझाऍं बोलो।
अंतस के पट माधव खोलो।।

आशा - तृष्णा का मेला है।
क्या जीवन एक झमेला है?

लोभ-मोह के बादल छाए।
कैसे शांति हृदय में आए।।
स्वार्थ-सिंधु में डूबी काया।
भाता अपना नहीं पराया।।

यह प्रांगण लगे तबेला है।
क्या जीवन एक झमेला है?

माया के अंबार लगाया।
किंतु नहीं कुछ कर में आया।।
जीवन व्यर्थ गँवाया जग में।
चुभते शूल रहे हैं मग में।

जीवन की संध्या बेला है।
क्या जीवन एक झमेला है?

*** चंद्र पाल सिंह 'चंद्र'

Sunday 23 June 2024

पवित्र, निर्मल - दोहे

 

प्रेम और विश्वास से, जिसका हृदय पवित्र।
दिखता उसके नेत्र में, इस दुनिया का चित्र॥1॥

प्रेम-अश्रु से जो करे, अपने दिल को साफ़।
उसके किये ग़ुनाह सब, रब कर देता माफ़॥2॥

सच्चाई के सामने, कर असत्य का त्याग।
अब भी कर ले रे मनुज!, निर्मल हिय से राग॥3॥

आन बान या शान से, आये ना कुछ हाथ।
निर्मल मन के प्रेम से, मिलता सबका साथ॥4॥

पावन प्रभु के नाम पर, करो नहीं पाखण्ड।
पाखंडी को एक दिन, देता ईश्वर दण्ड॥5॥

स्वच्छ रखो पर्यावरण, दूर रहेंगे रोग।
काया यह निर्मल रहे, करो निरंतर योग॥6॥

पावन है गंगा नदी, सुन्दर इसके तीर।
रखो नीर निर्मल सदा, हरे नदी भव पीर॥7॥
🌸
कुन्तल श्रीवास्तव.
डोंबिवली,महाराष्ट्र.

Sunday 16 June 2024

कर पायी गंगा उद्धार

 



निर्मल गंगाजल की लहरें, बहती है अजस्त्र जल धार।
माँ गंगा को आना ही था, मानव का करने उपकार।।

भूप भगीरथ हुए तपस्वी, कपिल मुनि के पा निर्देश।
रघुकुल के इस भागिरथी ने, ग्रहण किया पावन सन्देश।।
भुवनेश सगर के पुत्रों का, कर पायी गंगा उद्धार।।

गोमुख से गंगा सागर तक, हुए बहुत से विकसित धाम।
तेरे पुण्य सलिल को हे! माँ, करें सभी समुदाय प्रणाम।।
महादेव ही थाम जटा में, सहते तीव्र वेग का भार।

मलिन करे क्यों नीरामृत को, जो हरती सबके सन्ताप।
स्वच्छ रखे पावन गंगा को, जहाँ धुले सबके ही पाप।।
भारत भू पर तीर्थ बनाकर, देव-नदी करती साकार।

Sunday 9 June 2024

ध्यान, विचार, चिंतन - मुक्तक

 

शान देश की घट रही, आओ करें विचार,
दोषी इसके जो मिलें, वे सब हैं गद्दार,
दंडित उनको अब करें, करना नहीं लिहाज -
आगे आओ साथियो, जिन्हें राष्ट्र से प्यार।।

युवकों की ये टोलियाँ, क्यों होती पथ-भ्रष्ट,
चिंतन की यह बात है, शक्ति हो रही नष्ट,
गफ़लत त्यागो साथियो, इन्हें सँभालो शीघ्र -
दुर्गति इनकी देख कर, होता मन में कष्ट।।

जनता के सहयोग से, बनता राष्ट्र महान,
युवा जनों आगे बढ़ो, बढ़े राष्ट्र की शान,
हे युवको संकल्प लो, लिए तिरंगा हाथ -
नहीं भटकना राह में, रहे बात का ध्यान।।

Sunday 2 June 2024

चित्र आधारित गीत

 

खिलाएँ यहाँ फूल ऐसे चमन में,
कि खुशबू-भरे रात दिन भोर आएँ।
बिखेरें हृदय से महक इस तरह की,
कि पल-पल सदा हो सराबोर जाएँ।

नहीं हों भले सब हितैषी हमारे,
मगर हित सभी का हमें सोचना है।
करे वो भले ही बुरा इस जहाँ में,
हमें पथ सदा सत्य का खोजना है।
इसी बात का ध्यान रखना हमें है,
सभी के हितों को सदा आजमाएँ।

नहीं कुछ जहाँ में हमारा तुम्हारा,
सभी ईश का है यही मान रहना।
सदा प्रेम की भावना जोड़ती है,
हमेशा इसी बात का भान रखना।
मनों में रहा द्वेष ईर्ष्या कहीं तो,
जड़ें दें हिला ताकि जड़ तोड़ पाएँ।

कभी सोचते हैं गिरे मूल्य मानव,
हृदय को अजानी कसक बेधती है।
धरम-जाति की बेड़ियाँ जो पड़ी वे,
हृदय को हमारे सदा घेरती है।
धरा पर रहें एक होकर सभी जन,
यही कामना आज मन में जगाएँ।

खिलाएँ यहाँ फूल ऐसे चमन में,
कि खुशबू-भरे रात दिन भोर आएँ।

*** डॉ. राजकुमारी वर्मा

नयनों में जो स्वप्न सजाए - एक गीत

  नित्य लिखे सुख की परिभाषा, निशा जागती हमें सुलाए। परियों वाली एक कहानी, नयनों में जो स्वप्न सजाए। शुभ्र तारिका झिलमिल गाये, प्रीति भरी...