बल के रूप अनेक हैं, और बहुत से नाम।
करें कभी सद्कार्य ये, करें बुरा भी काम।।
धन-बल, भुज-बल बुद्धि-बल, रहता जिनके संग,
सुविधाओं की बाढ़ ले, घर नित बहती गंग,
इसीलिए तो भाग्य भी, होय न उनका वाम।1।
दल-बल, छल-बल के धनी, करें जगत पर राज,
हाथ जोड़ के सबल सब, करते उनके काज।
निबल सदा दरबार में, झुक-झुक करें सलाम।2।
आत्म-बली का बल सदा, बनता उसकी शक्ति,
सब बल मिलकर रोज ही, करते उसकी भक्ति,
दुख की बारिश में उसे, होता नहीं ज़ुकाम।3।
सत-पथ गामी जो रखे, श्रम- बल अपने साथ,
ऋद्धि-सिद्धि सी देवियां, थामें उसका हाथ,
उसके रक्षक जगत में, रहें सदा श्री राम।4।
*** अवधूत कुमार राठौर ***
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