जिंदगी की धूप जब जब गुनगुनी लगने लगे ।
चार दिन का ये सफ़र जब ज़िन्दगी लगने लगे ।
उस खुदा की है इनायत यूँ समझ लेना सभी,
दोस्ती जब आपको इक बन्दगी लगने लगे ।।
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*** गुरचरन मेहता 'रजत' ***
भारत गाँवों में बसता था, हुई पुरानी यारो बात। कभी न डूबा रवि गाँवों में, छायी है तँह काली रात।। भारत गाँवों में... जात-पात का चल...