Saturday, 4 June 2016

"मंदिर में मनमीत बसाया, मन की सूनी भीति"




दर दर पत्थर पूज रहे हैं, मन मंदिर है सूना सा।
रास हुआ करता महलों में, वृन्दावन है उजड़ा सा।।


आलीशान भवन में शिव हैं, गंगा तीर अधूरा सा।
राम नाम का हो जयकारा, राजनीत का खेला सा।।


देवी माँ को शीश नवाते, माँ का त्याग भुलाया सा।
प्रभु मेरे मन में ही बसना, तुम सँग जीव लुभाया सा।।


***** ममता लड़ीवाल

No comments:

Post a Comment

"फ़ायदा"

  फ़ायदा... एक शब्द जो दिख जाता है हर रिश्ते की जड़ों में हर लेन देन की बातों में और फिर एक सवाल बनकर आता है इससे मेरा क्या फ़ायदा होगा मनुष्य...