Sunday, 12 October 2014

थोथा चना बाजे घना

सत्यं शिवं सुन्दरम् - साहित्य सृजन मेखला 
के साहित्यिक मंच पर 
मज़मून 23 में चयनित 
सर्वश्रेष्ठ रचना



गीतिका

थोथा हूँ, चना हूँ,
बजता भी घना हूँ.

अगर मुझे सुनो तो,
लगता सौ मना हूँ.

असली से लगे जो,
झूठों से बना हूँ.

ढोलक में हवा सा,
रस्सी से तना हूँ.

दिखता हूँ फरेबी ,
घुन से जो सना हूँ.

आईना दिखे तो,
होता अनमना हूँ.

जीवन में कहावत,
इस कारण बना हूँ.

  ***** मदन प्रकाश
*****

No comments:

Post a Comment

सूरज का संदेश

  बेसुध करती रात सयानी, नित्य सँवारे रवि-स्यंदन है। हार न जाना कर्म पथिक तुम, सुख-दुख सत्य चिरंतन है। मत घबराना देख त्रासदी, उम्मीदों से ज...