Sunday, 3 August 2014

कुण्डलिया

सत्यं शिवं सुन्दरम् - साहित्य सृजन मेखला 

पर 

चयनित सर्वश्रेष्ठ रचना


आये दोनों साथ में, मनीं ईद सँग तीज
सौगातें सौहाद्र की, गई नजर हर भीज।।
गई नजर हर भीज, नेह की दौलत पाकर
त्यौहारों से पुष्प, सजाते हर घर आकर।।
मन माने उल्लास, प्रेम जब बैर मिटाये
गंग-जमुन तहजीब, रौनकें लेकर आये।।

~ फणीन्द्र कुमार ‘भगत’

No comments:

Post a Comment

सूरज का संदेश

  बेसुध करती रात सयानी, नित्य सँवारे रवि-स्यंदन है। हार न जाना कर्म पथिक तुम, सुख-दुख सत्य चिरंतन है। मत घबराना देख त्रासदी, उम्मीदों से ज...