Sunday, 19 November 2023

ईश्वर - मुक्तक द्वय

 

ज़िन्दगी की राह जब दुख दर्द से हो चिप चिपा,
याद करते हैं उन्हें फिर, माँगते उनकी कृपा,
एक एकाकार मानो, या हज़ारों रूप दो,
ईश की परिकल्पना में, गूढ़ चिंतन है छिपा।
भक्ति का सित अश्रु भर कर आँख रूपी दीप में,
प्रेम बाती नित जलाऊँ तम घिरे हिय द्वीप में
हे प्रभो मन द्वार सँकरा हो गया भव कीच से,
भाव द्रव तू रिक्त उर में डाल दे रख कीप में।

*** शशि रंजन 'समदर्शी'

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