Sunday 27 August 2017

कोई कारण बतलाये



सदा आह में पली नारियाँ जीवन करके क्षार।
सुख की आहुति भी न सकी दे उनको किंचित प्यार।
कोई कारण बतलाये!
कोई कारण बतलाये! 


गौतम मुनि की नार अहिल्या बनी शिला क्या दोष,
देवराज ने छल से उसका लूटा यौवन कोष,
क्यों पाषाण बनी वह नारी तके राम कब आये।
कोई कारण बतलाये!
कोई कारण बतलाये!


पतिव्रता बृंदा की भी तो अतिशय करुण कहानी,
दानव कुल के जालंधर की बृंदा थी पटरानी,
हरि से लाज लुटा जड़ होकर आज तलक दुख पाये।
कोई कारण बतलाये!
कोई कारण बतलाये!


प्रेम पुजारन मीरा की क्या कम है करुण कहानी,
महल, दुमहला धन, दौलत तजि भई कृष्ण दीवानी,
विष प्याले फिर क्यों राणा ने पग-पग उसे पिलाये।
कोई कारण बतलाये!
कोई कारण बतलाये!


जग जननी थी मातु जानकी आदिशक्ति अवतारी,
पर सुख की एक रैन धरा पर पा न सकी बेचारी,
अग्निपरीक्षा दे कर भी क्यों वन-वन भटकी जाये।
कोई कारण बतलाये!
कोई कारण बतलाये!


***** अनुपम आलोक

No comments:

Post a Comment

छंद सार (मुक्तक)

  अलग-अलग ये भेद मंत्रणा, सच्चे कुछ उन्मादी। राय जरूरी देने अपनी, जुटे हुए हैं खादी। किसे चुने जन-मत आक्रोशित, दिखा रहे अंगूठा, दर्द ...