Thursday, 30 January 2014
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प्रकाश पुंज - एक गीत
प्रकाश पुंज सूर्य से प्रदीप्त आभ पाइए। घने तिमिस्र को मिटा सुरम्य पंथ लाइए। उजास ज्ञान विश्व में स्व बाँटता रहा सदा। सुतीक्ष्ण बुद्धि, अंध...
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पिघला सूर्य , गरम सुनहरी; धूप की नदी। बरसी धूप, नदी पोखर कूप; भाप स्वरूप। जंगल काटे, चिमनियाँ उगायीं; छलनी धरा। दही ...
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जब उजड़ा फूलों का मेला। ओ पलाश! तू खिला अकेला।। शीतल मंद समीर चली तो , जल-थल क्या नभ भी बौराये , शाख़ों के श्रृंगों पर चंचल , कुसुम-...
