Sunday, 29 June 2014
Thursday, 26 June 2014
Sunday, 22 June 2014
Sunday, 15 June 2014
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आतंक/दहशत/ख़ौफ़ - एक ग़ज़ल
कैसी हुई आज वहशत सकते में आयी निज़ामत ग़मगीन इंसा हुआ है हर सिम्त है एक ज़हमत आतंक फैला रहे जो उनके दिलों में है नफ़रत हथियार हाथों में ले...

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पिघला सूर्य , गरम सुनहरी; धूप की नदी। बरसी धूप, नदी पोखर कूप; भाप स्वरूप। जंगल काटे, चिमनियाँ उगायीं; छलनी धरा। दही ...
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गहरी आँखों से काजल चुराने की बात न करो। दिलकश चेहरे से घूँघट उठाने की बात न करो।। सावन है बहुत दूर ऐ मेरे हमदम मेरे हमसफ़र। बिन म...