आतंक/दहशत/ख़ौफ़ - एक ग़ज़ल

  कैसी हुई आज वहशत सकते में आयी निज़ामत ग़मगीन इंसा हुआ है हर सिम्त है एक ज़हमत आतंक फैला रहे जो उनके दिलों में है नफ़रत हथियार हाथों में ले...