Saturday, 14 April 2012

दर्शन




उस असीम के दर्शन,

जो अव्यक्त, किन्तु शाश्वत,

दुर्लभ बाह्यत:

झाँककर देखो अंतर्मन में,

कण-कण में विद्यमान,

समाहित तेरे अंदर भी,

गहरा आँचल क्षणिक सुख का,

परित्याग अत्यावश्यक उसका,

अन्यथा,

अंतर्व्यथा सदैव,

पीड़ित जीवन-कथा सदैव

वर्तमान विश्व पर प्रासंगिक मुक्तक

  गोला औ बारूद के, भरे पड़े भंडार, देखो समझो साथियो, यही मुख्य व्यापार, बच पाए दुनिया अगर, इनको कर दें नष्ट- मिल बैठें सब लोग अब, करना...