मधुशाला में शोर है, गणिका गाये राग।
जाम भरा ले हाथ में, पीने से अनुराग।।1।।
चषक लिये है साकिया, इतराती है चाल।
सब पीकर है नाचते, ठुमकत दे दे ताल।।2।।
प्याला पीकर रस भरा, केवल रब का भान।
लघुता या बड़ पन नहीं, सभी एक ही जान।।3।।
हाला पीकर बावला, बजा रहा है गाल।
सिर के ऊपर नाचता, स्वर्ण चषक ले काल।।4।।
मद ममता मानी मना, मोद मेखला माल।
तजिये तेवर त्याग तम, तंज तेवरी ताल।।5।।
***** जी.पी. पारीक
सब पीकर है नाचते, ठुमकत दे दे ताल।।2।।
प्याला पीकर रस भरा, केवल रब का भान।
लघुता या बड़ पन नहीं, सभी एक ही जान।।3।।
हाला पीकर बावला, बजा रहा है गाल।
सिर के ऊपर नाचता, स्वर्ण चषक ले काल।।4।।
मद ममता मानी मना, मोद मेखला माल।
तजिये तेवर त्याग तम, तंज तेवरी ताल।।5।।
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